Namrita Swarup ( गुलनाज़ )काले धुएँ का गिलाफ़ सा आसमाँ पे हैहर सम्त जलती हैं लाशें कोई श्राप सा हैJun 23, 20211Jun 23, 20211
Namrita Swarup ( गुलनाज़ )inmy tukbandiअंतिम छाया दूंगा तुमकोआ जाओ बैठो संग मेरेNov 2, 20182Nov 2, 20182
Namrita Swarup ( गुलनाज़ )यहाँ आकर मैं हिन्दुस्तान ढूँढती हूँ…कभी कभार यहाँ भी दिखते हैं शटर वाले दरवाज़े दुकानों पर, मैं ख़ुश होकर हिन्दुस्तान सोचती हूँAug 2, 2018Aug 2, 2018
Namrita Swarup ( गुलनाज़ )अपनी सुबह का इन्तज़ार है…हर रोज़ नया दिन निकलता है,Jul 10, 2018Jul 10, 2018
Namrita Swarup ( गुलनाज़ )inIntimately IntricateBLUEST OF BLUESTonight the earth merges with the blue of the sky, and I hope perhaps this night my blues will fade awayJun 1, 2018Jun 1, 2018
Namrita Swarup ( गुलनाज़ )मतरूक (Obsolete) दोपहरीजब भी मन उदास होता है तो उसी पुरानी दोपहरी को खींच कर लपेट लेती हूँ ख़ुद के गिर्द, कौन जाने किसी दफ़ा दोपहरी उड़ते का़लीन सी ले जाये वापस…May 6, 2018May 6, 2018
Namrita Swarup ( गुलनाज़ )जब तुम नहीं होते हो….कल रात को बिस्तर पे लेटे लेटे तुम्हारी कही कोई बात याद आ गयी,Apr 19, 20181Apr 19, 20181
Namrita Swarup ( गुलनाज़ )आज पुल भी नदी के पार चला गयाएक ही जगह दम घुटता होगा!Mar 30, 2018Mar 30, 2018